Sunday, May 24, 2009

जय हो बनाम भय हो

आम चुनाव २००९ संपन हो चुका है लेकिन जो मुद्दे चल रहे थे ,उनका जिक्र मै करना चाहू गा । कांग्रेस तो जय हो में जय होगई । लेकिन भाजपा तो भय में चली गई । लेकिन कांग्रेस रोजगार की नई ब्यवस्था कर के बेरोजगारों की जय हो करे गी । हो सकता है ,अडवाणी जी भय का नारा फीर याद कर ले । लेकिन बेचारे अभी सदमे से उठे है ,ये जोहमत नही उठाये गे । कही पार्टी विरोध न कर जाय। भय का नारा आडवानी को सदमे में भेज दिया ।
विपक्ष का नेता नही रहे गे । कही उनका संकेत पार्टी के मुखिया राजनाथ की तरफ़ तो नही। लेकिन राज का नाथ खुद हो उसका राज कौन जन सकता है। जय हो राज ।
राहुल तेरी जय हो । सोनिया तेरी जय हो ?मनमोहन सिंह आपतो किंग है ,आप की जय तो पंजाब की जनता ने कर दी।
रहमान ने तो पूरी जय की टीम खड़ी कर दी। आस्कर का अवार्ड पाए । कांग्रेस ने तो इस गीत को चुनाव में भुनाया । भाजपा के आडवानी ने तो ख़ुद गीत बनाया । भय हो । अब इनसे निजात नही मेले गा । ये दोनों भाई बन चुके है । सिक्के के दो पहलू।

महिलाओ की जय हो

भले ही संसद में महिला विधेक न पास हो पाया हो । लेकिन इनका घरेलू विधेक पुलिस थाने में रोज पास हो रहा
है । घर की छोटी घटना का समबन्ध ये दहेज़ से जोड़ने में चलाक हो चुकी है । पति जी का रोब अब ख़त्म हो
चुका है । कारण जो इनका विधेक पास हो गया है ।अब हम विधायक बनब.विधेयक पास तो होय दा । लेकिन जब महिलाओ को दहेज़ कानून से मजबूत बनाया जा रहा है। तो उन बेचारे पतियों को किस कानून से बचाया जाए गा । जो अपनी बात नही कह पा रहे है .पत्नी की मार खाकर भी कही नही कह पा रहे है। क्या इस हिंसा को घरेलू हिंसा नही कहे गे ?अगर हा तो इनके लिए कौन सा विधेक लाया जा रहा है ।

Friday, May 15, 2009

जूता और नेता

कास मै जूता होता
पीचिदंबरम हो या मनमोहन ,लालकृषण आडवानी
पिअम इन वोटिंग हो ,या सिटिंग पी यम्
सबके ऊपर मै फेका जाऊ।
नविन जिंदल हो या ,जीतेंद्र अभिनेता
बिना मशाला लगाये बन जाऊ ,मै भी रातोरात सर का ताज
हितेश चौहान हो या जनरैल सिंह पत्रकार ,
पसव हो या चंद्र शेखर ,मै हूँ नेता के सरपर।

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जूता