Wednesday, October 20, 2010

पुश्ता निर्माण न होन से लोग झेल रहे परेशानी

सन्तोष पाण्डेय
देहरादून। पिछले दिनों प्रदेश मे आए प्राकृतिक आपदा से पूरा प्रदेश अभी उबर नही पाया है। प्रदेश के सभी जिलों में दैवी आपदा की मार पड़ी है। हंला कि सरकार ने सकारात्मक कदम उठाया है। जिससे कई जिलों में हालात सुधरे है। लेकिन प्रदेश कि अस्थाई राजधानी देहरादून में हालात कुछ और ही है। हम बात कर रहे है देहराखास टी.एच.टी.सी कालोनी , यमुना विहार, पटेलनगर में टूटे नाले के पुश्तों के निमार्ण अभी तक नहीं हुआ । जिसमें यमुना विहार , टी.एच.टी.सी कालोनी के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हम आपको बताते चले कि यहा जो रास्ते 18 फुट चैडे थे वह अब मात्र 3 फीट रह गया है। इन्ही सारी समस्याओं के निदान के लिय सपा युवजन के महामंत्री राजेश रावत ने क्षेत्र के विधायक और पार्षद से बात की ।

लेकिन उनका कहना है कि इस पर कोई साकारात्मक कार्यवाई नही हो रही है। जिससे लोग परेशान है। और खतरे का बादल मड़रा रहा है। राजेश रावत की माने तो कोई अधिकारी इस खेत्र का दौरा भी नही किया है। श्री रावत ने जिला प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने शासन और प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर इस पर कार्यवाई नही हुई तो सपा युवजन आन्दोलन करेगी ।

Monday, October 4, 2010

नितिन गडकरी से सीएम को सुधारने के लिए बट रहें है पम्पलेट



देहरादून। चुनाव नजदीक आता है तो क्या क्या हो सकता है इसका आकलन नही किया जा सकता । यही हो रहा है उत्तराखण्ड में । दिनांक 4 अक्टूबर दिन सोमवार को सुबह जब मैंने समाचार पत्र को उठाया तो एक नये वस्तु से संपर्क हुआ । जो पम्पलेट था। लेकिन साधारण पम्पलेट नही । अस पम्पलेट में उत्तराखण्ड के सीएम के खिलाफ चिजे लिखी गई है। इस पम्पलेट में नितिन गडकरी से सीएम को सुधारने के की अपील कि गई है। इस पम्पलेट में न तो कहा से छपा है और किसने छपवाया है इसका जिक्र नही है । इस पम्पलेट में जो छपा है वह इस प्र्रकार है -
जनता त्रस्त , भ्रष्ट अधिकारी मस्त
आदरणीय,
श्री नितिन गडकरी जी, राष्ट्ीय अध्यक्ष भाजपा
‘आप कार्यकर्ताओं की सुनो , वह आपकी सुनेगा ’
उत्तराखण्ड सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं की आवाज को अनसुना कर रही है , सामने है मिशन 2012 हमारे मुख्यमंत्री जी स्वच्छ प्रशासन देने में नाकाम साबित हो रहे है । जनता प्राकृतिक आपद|ओं से त्रस्त है भ्रष्टाचार चरम सीमा में है |आये दिन समाचारों में , अखबारों में आ रहा है। सुभाष कुमार को गलत ठंग से मुख्य सचिव बनाया इससे वरिष्ठ अजय जोशी व भट्ट को ईमानदार होने के नाते मुख्मंत्री जी ने जिस तरह सुभाष कुमार के कहने पर मुख्य सचिव पद से वंचित किया है। यही भ्रष्ट अधिकारी सुभाष कुमार सरकार व संगठन की 2012 मिशन में किरकिरी करा कर छोडेगा मुख्मंत्री जी को आगाह करे इस एड्स की बिमारी से दूर रहे , नही तो यह सबका बेडा गर्क करेगा। आम कार्यकर्ता तो यही कहं रहा हैं
‘ गडकरी जी का लाडला बिगड गया है
दलाल अधिकारियों के चंगुल में फंस गया ’
कृपया कार्यकर्ताओं की भावनाओं की कद्र करते हुए मुख्यमंत्री जी को सचेत करेंगें।
भवदीय
पार्टी के शुभचिन्तक
कार्यकर्ता

नितिन गडकरी से सीएम को सुधारने के लिए बट रहें है पम्पलेट



देहरादून। चुनाव नजदीक आता है तो क्या क्या हो सकता है इसका आकलन नही किया जा सकता । यही हो रहा है उत्तराखण्ड में । दिनांक 4 अक्टूबर दिन सोमवार को सुबह जब मैंने समाचार पत्र को उठाया तो एक नये वस्तु से संपर्क हुआ । जो पम्पलेट था। लेकिन साधारण पम्पलेट नही । अस पम्पलेट में उत्तराखण्ड के सीएम के खिलाफ चिजे लिखी गई है। इस पम्पलेट में नितिन गडकरी से सीएम को सुधारने के की अपील कि गई है। इस पम्पलेट में न तो कहा से छपा है और किसने छपवाया है इसका जिक्र नही है । इस पम्पलेट में जो छपा है वह इस प्र्रकार है -
जनता त्रस्त , भ्रष्ट अधिकारी मस्त
आदरणीय,
श्री नितिन गडकरी जी, राष्ट्ीय अध्यक्ष भाजपा
‘आप कार्यकर्ताओं की सुनो , वह आपकी सुनेगा ’
उत्तराखण्ड सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं की आवाज को अनसुना कर रही है , सामने है मिशन 2012 हमारे मुख्यमंत्री जी स्वच्छ प्रशासन देने में नाकाम साबित हो रहे है । जनता प्राकृतिक आपद|ओं से त्रस्त है भ्रष्टाचार चरम सीमा में है |आये दिन समाचारों में , अखबारों में आ रहा है। सुभाष कुमार को गलत ठंग से मुख्य सचिव बनाया इससे वरिष्ठ अजय जोशी व भट्ट को ईमानदार होने के नाते मुख्मंत्री जी ने जिस तरह सुभाष कुमार के कहने पर मुख्य सचिव पद से वंचित किया है। यही भ्रष्ट अधिकारी सुभाष कुमार सरकार व संगठन की 2012 मिशन में किरकिरी करा कर छोडेगा मुख्मंत्री जी को आगाह करे इस एड्स की बिमारी से दूर रहे , नही तो यह सबका बेडा गर्क करेगा। आम कार्यकर्ता तो यही कहं रहा हैं
‘ गडकरी जी का लाडला बिगड गया है
दलाल अधिकारियों के चंगुल में फंस गया ’
कृपया कार्यकर्ताओं की भावनाओं की कद्र करते हुए मुख्यमंत्री जी को सचेत करेंगें।
भवदीय
पार्टी के शुभचिन्तक
कार्यकर्ता

Sunday, October 3, 2010

19 वें कॉमनवेल्थ गेम्स का राष्टृपति प्रतिभा पाटिल ने किया उद्घाटन



19वें राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में रविवार को भारतीय संस्कृति और एकता का नजारा देखने को मिला।जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम के बीच ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स और भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की मौजूदगी में 19 वें कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हुई। 65,000 दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में चारों तरफ उमंग का माहौल दिख रहा है।ओपनिंग सेरिमनी के मौके पर कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम पेश किए जा रहे हैं।
सेरिमनी को 6 हिस्सों में बांटा गया है। इसमें ' रिदम ऑफ इंडिया ', ' स्वागतम ', ' ट्री ऑफ नॉलेज ', ' योगा ', ' ग्रेट इंडियन जर्नी ' जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। और अंत में ऑस्कर विजेता संगीतकार ए . आर . रहमान कॉमनवेल्थ गेम्स गीत ' जियो - उठो - बढ़ो - जीतो ' को पेश करेंगे।रविवार शाम सात बजे जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम के बीच 19 वें कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत हुई।
ओपनिंग सेरिमनी के लिए स्टेडियम को दुल्हन की तरह सजाया गया है। स्टेडियम की खूबसूरती कुछ ऐसी है कि पहली नजर में ही देखने वाले इसकी तारीफ करने लगते हैं। नेहरू स्टेडियम के अंदर और बाहर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद है। दिल्ली पुलिस के साथ - साथ अर्धसैनिक बलों के लगभग 15,000 जवानों की तैनाती स्टेडियम की सुरक्षा के लिए की गई है।दिल्ली में शुरू हो रहे गेम्स में 6700 से ज्यादा खिलाड़ियों और अधिकारियों की भागीदारी होगी। जो एक रिकार्ड है। इससे पहले 2006 में संपन्न मेलबोर्न कामनवेल्थ गेम्स में 5766 खिलाड़ियों और अखिकारियों ने भागीदारी की थी।
अक्षरधाम मंदिर के पास बने कॉमनवेल्थ खेल गांव में एक अलग संसार बसा हुआ है। हर तरफ चहल पहल, भारतीय व विदेशी खिलाड़ियों की भरमार। ये विदेशी जो कुछ दिन पहले तक सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण भारत आने से डर रहे थे, अब भारतीय संगीत पर भांगड़ा करते नजर आ रहे हैं। कनाडा, स्कॉटलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाड़ी यहां बेफिक्र और मस्ती के मूड में रहते हैं। कोई भारतीय खाने का दीवाना है, तो किसी को खेल गांव की फाइव स्टार सुविधाएं भा गई। भास्कर ने शनिवार को खेल गांव में कुछ ऐसे ही नजारे देखे।
ओपनिंग सेरिमनी
न्यू जीलैंड के गवर्नर जनरल सर आनंद सत्यानंद , मोनैको के राजकुमार अल्बर्ट द्वितीय और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद व नौरू के राष्ट्रपति मरकस स्टीफन मौजूद हैं। इस अवसर पर इंटरनैशनल ओलिंपिंक कमेटी के अध्यक्ष जैक्स रॉग और सीजेएफ के चेयरमैन माइक फेनेल भी उपस्थित हैं |

भाई ...काश कॉमनवेल्थ को काॅमन लोग भी देख पाते | बात तो ठीक है लेकिन यह तो वेल्थ है यह केवल हेल्थ और वेल्थ वालों के लिए है। ...हा हा हा .....www.tarangbharat.com

Friday, October 1, 2010

जब गांधी ऋषिकेश का लछमन झूला देखकर हुए थे उदास

जब गांधी ऋषिकेश का लछमन झूला देखकर हुए थे उदास


देवभूमि उत्तराखण्ड में विराजमान विश्व प्रसिद्ध लछमन झूला गांधी जी को बड़ा ही प्रीय था। उनकी यहां आने कि इच्छा मन में बनी रहती थी। जिसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा पुस्तक में किया है। उन्होंने लिखा है कि मैंने लछमन झूले कि तारीफ बहुत सुनी थी । ऋषिकेश गये बिना हरिद्वार न छोड़ने कि मुझे बहुतो की सलाह मिली थी। मुझे तो पैदल जाना था। इससे एक मंजिल ऋषिकेश की ओर दूसरी लछमन झूले कि ओर ।
गांधी जी ने आगे लिखा है कि ऋषिकेश में अनेक संन्यासी मिलने आये थे। उनमें एक की मेरे जीवन मंे गहरी दिलस्पी पैदा हो गई । फिनिक्स मंडल मेरे साथ था। मेरे जीवन में गहरी दिलचस्पी पैदा हो गई । फिनिक्स मंडल मेरे साथ था, उन सबको देखकर उन्होंने अनेक प्रश्न किये। हममें धर्म की चर्चा हुई। उन्होंने देखा , मेरे भीतर धर्म की तीव्र भावना है । मै गंगा स्नान करके आया था। अतः नंगे बदन था।
मोहन ने लछमन झूले के बारे में आगे लिया है कि मुझे लछमन झूले के प्राकृतिक दृश्य बहुत पंसद आये । जैसे हरिद्वार में वैसे ऋषिकेश में लोग रास्तों और गंगा के सुंदर तट को गंदा कर डालते थे। यह देखकर गांधी बहुत दुखी हुए।

साभार सत्य के प्रयोग

जब गांधी किये गये थे बिरादरी से बाहर

जब गांधी किये गये थे बिरादरी से बाहर



आज विलायत का मतलब विदेश है। सामान्य लोगों कि बाते छोड़ दि जाए आज समाज का संभ्रात वर्ग विदेश यात्रा को अपना स्टेटस सिम्बल मानता है। जो विदेश यात्रा करके लौटता है गांव में उसकी एक अलग स्थिति होती है। लेकिन जब हम मोहनचंद करमचंद गांधी को याद करते है तो जरा गांधी के उन क्षणों को याद कर ले जो उस समय अभिसाप समझे जाते थे आज वही चीजे सम्मानित और स्टेटस मार्क बन गई है। बात उन दिनों कि है जब मोहनचंद करमचंद गांधी विलायत जाने कि तैयारी में थे। गांधी ने अपने आत्मकथा में लिखा है कि मै माता का आशिर्वाद लेकर और कुछ महीनों का बच्चा स्त्री के गोंद में छोड़कर बड़ी उमंगों के साथ बंबई जो आज मुंबई पहंुचा। वहां पर उनके मित्रों ने गांधी जी के बड़े भाई से कहा कि जून-जुलाई मंे हिंद महासागर में तूफान उठते रहते है। और इसकी पहली यात्रा है इसलिए इसको दिवाली के अर्थात नवंबर में भेजना चाहिए। इससे गांधी के बड़े भाई ने गांधी जी कि यात्रा टाल दी ।

इन्ही दौरान गांधी के बिरादरी में खलबली मची । पंचायत बुलाई गई । कोई मोढ़ बनिया अबतक विलायत नही गया था और मैं जा रहा हूं तो मुझे जवाब तलब होना ही चाहिए । मुझे पंचायत में हाजिर होने का हुक्म हुआ। मैं गया । मुझे पता नही कि मुझमें कहा से यकायक हिम्मत आ गई । मुझे हाजिर होने में न हिचक हुई और न डर लगा । सरपंच जी ने कहा कि ‘ बिरादरी समझती है कि तुम्हारा विलायत जाने का विचार ठीक नही है। हमारे धर्म में समुद्र-यात्रा की मनाही है। फिर हम यह भी सुनते है कि विलायत मंे धर्म की रक्षा नही हो सकती है। वहां साहबों के साथ खाना-पीना पड़ता है।’
मैने उत्तर दिया ‘ मुझे तो ऐसा लगता है कि विलायत जाने में तनिक अधर्म नही है। मुझे तो वहा जाकर विद्याभ्यास ही तो करना हैं । फिर जिन चिजों का आपको डर है। उनसे दूर रहने मैं अपनी माता के सामने प्रतिज्ञा कर चुका हूं । अतः उनसे दूर रह सकूंगा।
इन जवाबों से मुखिया जी तिलमिला गये और मुझे दो चार खरी खोंटी भी सुनाई। मैं शांत बैठा रहा मुखिया ने हुक्म दिया कि यह लड़का आज से बिरादरी से माना जाएगा। जो कोई इसे मदद करेगा या बिदा करने जाएगा वह बिरादरी से बाहर होगा। और उसके अपर सवा रूपये का जुर्माना होगां ।
साभार सत्य के प्रयोग

जब गांधी किये गये थे बिरादरी से बाहर

जब गांधी किये गये थे बिरादरी से बाहर



आज विलायत का मतलब विदेश है। सामान्य लोगों कि बाते छोड़ दि जाए आज समाज का संभ्रात वर्ग विदेश यात्रा को अपना स्टेटस सिम्बल मानता है। जो विदेश यात्रा करके लौटता है गांव में उसकी एक अलग स्थिति होती है। लेकिन जब हम मोहनचंद करमचंद गांधी को याद करते है तो जरा गांधी के उन क्षणों को याद कर ले जो उस समय अभिसाप समझे जाते थे आज वही चीजे सम्मानित और स्टेटस मार्क बन गई है। बात उन दिनों कि है जब मोहनचंद करमचंद गांधी विलायत जाने कि तैयारी में थे। गांधी ने अपने आत्मकथा में लिखा है कि मै माता का आशिर्वाद लेकर और कुछ महीनों का बच्चा स्त्री के गोंद में छोड़कर बड़ी उमंगों के साथ बंबई जो आज मुंबई पहंुचा। वहां पर उनके मित्रों ने गांधी जी के बड़े भाई से कहा कि जून-जुलाई मंे हिंद महासागर में तूफान उठते रहते है। और इसकी पहली यात्रा है इसलिए इसको दिवाली के अर्थात नवंबर में भेजना चाहिए। इससे गांधी के बड़े भाई ने गांधी जी कि यात्रा टाल दी ।

इन्ही दौरान गांधी के बिरादरी में खलबली मची । पंचायत बुलाई गई । कोई मोढ़ बनिया अबतक विलायत नही गया था और मैं जा रहा हूं तो मुझे जवाब तलब होना ही चाहिए । मुझे पंचायत में हाजिर होने का हुक्म हुआ। मैं गया । मुझे पता नही कि मुझमें कहा से यकायक हिम्मत आ गई । मुझे हाजिर होने में न हिचक हुई और न डर लगा । सरपंच जी ने कहा कि ‘ बिरादरी समझती है कि तुम्हारा विलायत जाने का विचार ठीक नही है। हमारे धर्म में समुद्र-यात्रा की मनाही है। फिर हम यह भी सुनते है कि विलायत मंे धर्म की रक्षा नही हो सकती है। वहां साहबों के साथ खाना-पीना पड़ता है।’
मैने उत्तर दिया ‘ मुझे तो ऐसा लगता है कि विलायत जाने में तनिक अधर्म नही है। मुझे तो वहा जाकर विद्याभ्यास ही तो करना हैं । फिर जिन चिजों का आपको डर है। उनसे दूर रहने मैं अपनी माता के सामने प्रतिज्ञा कर चुका हूं । अतः उनसे दूर रह सकूंगा।
इन जवाबों से मुखिया जी तिलमिला गये और मुझे दो चार खरी खोंटी भी सुनाई। मैं शांत बैठा रहा मुखिया ने हुक्म दिया कि यह लड़का आज से बिरादरी से माना जाएगा। जो कोई इसे मदद करेगा या बिदा करने जाएगा वह बिरादरी से बाहर होगा। और उसके अपर सवा रूपये का जुर्माना होगां ।
साभार सत्य के प्रयोग