चुनाव को हम दुसरे रूप में देख सकते है .जैसे
सावन का महिना आता है तो ,क्या होता है ,अथवा माहोल कैसा होता है?
जरा इसकों इस माध्यम से समछ्ने की कोशिस कीजिए ।
{ चुनाव आया ,चुनाव आया छोले और समोशे लाया ,
नदियों में अब पानी होगा ,क्योकि बारिश का महिना आया
मतदाता अब पूजे जाए गे ,क्योकि चुनाव का महिना आया
जितने मेदक होगे सब ,तर्तार्राए गे
क्योकि चुनाव का जो महिना आया
इस बार की एक दुखद घटना हूई है ,
इन्द्र बाबा भृकुटी तनी है ,
बारिश होगी कम , लेकिन हम रहेगे वहीं }
क्या यही है राजनिती?जी नही .हम भी बद्लेगे ,हम ओन्को भी बदलने के अवसर देगे ।
जरूरत है एछचा ,सक्ति की ।
वजह जो भी ,लेकिन इरादे साफ है ।
जय हिंद .
Saturday, April 4, 2009
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2 comments:
sahee hai bdhai.
happy 2010.
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