भले ही संसद में महिला विधेक न पास हो पाया हो । लेकिन इनका घरेलू विधेक पुलिस थाने में रोज पास हो रहा
है । घर की छोटी घटना का समबन्ध ये दहेज़ से जोड़ने में चलाक हो चुकी है । पति जी का रोब अब ख़त्म हो
चुका है । कारण जो इनका विधेक पास हो गया है ।अब हम विधायक बनब.विधेयक पास तो होय दा । लेकिन जब महिलाओ को दहेज़ कानून से मजबूत बनाया जा रहा है। तो उन बेचारे पतियों को किस कानून से बचाया जाए गा । जो अपनी बात नही कह पा रहे है .पत्नी की मार खाकर भी कही नही कह पा रहे है। क्या इस हिंसा को घरेलू हिंसा नही कहे गे ?अगर हा तो इनके लिए कौन सा विधेक लाया जा रहा है ।
Sunday, May 24, 2009
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