Monday, April 4, 2011

युवाओं तुम्हीं विजेता हो

सन्तोष पाण्डेय

वल्र्ड कप की जीत में डूबा पूरा भारत इस बात को भूल गया है कि इस बार का विष्व कप सचिन और सहवाग के बेहतरीन प्रदर्षन से नहीं बल्कि धोनी, युवराज व सुरेश रैना के बेहतरीन प्रदर्षन से भारत ने जीता है। जितने वर्शाें के बाद यह वल्र्ड कप फिर भारत ने जीता है लगभग उतने हीं वर्शीय के खिलाडि़यों के दम पर यह वल्र्ड कप भारत में आया है। भारत ने यह पहली बार कर दिखाया है मेजबान देश ने पहली बार बल्र्ड कप पर अपना कब्जा जमाया है। अभी तक ख्ेाले गयें सभी वल्र्ड कप मेजबान देश नहीं बल्कि मेहमान देश ही जीतता आया है। ये कारनामा देश के युवाओं ने कर दिखाया है। धोनी ने कम उम्र में जा कारनामा कर दिखाया है उससे यह समझ में आता है कि किसी भी कार्य के लिए ज्यादा अनुभव नहीं कार्य में प्रवीणता और जुनून की जरूरत होती है। जो कार्य सचिन व अन्य पुराने खिलाडि़यों ने नही कर दिखाया वह कार्य धोनी कि युवा टीम ने कर दिखाया है। ठीक यही हाल हर क्षेत्र में होना चाहिए । युवाओं का अधिकार हर क्षेत्र में होना चाहिए। युवा देष का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकता । ऐसे लोगों के हाथ में कमान नहीं होनी चाहिए जो खुद को ना सम्हाल सके। देश की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए जो धोनी की तरह हो मौका पड़ने पर खुद टीम को जीत दिला दे। जिस देश में बैषाखी के बल पर नेताओं को ढोना पड़ता है उस देश को कैसे विकाष के पथ पर आगे बढ़ाया जा सकता है। इसकी कल्पना देष का हर नागरिक कर सकता है। ये वहीं देष है जहां महात्मा गांधी जैसे उम्रदराज लीडर होते थे और स्वामी विवेकानन्द जी जैसे लोग जो देश ही नहीं पूरे विष्व में पूज्यनीय रहे है। वल्र्ड कप के जष्न में लोगों ने जितना उत्साह दिखाया है उतना ही उत्साह अगर देष से भ्रश्टाचार और भ्रश्ट नेताओं को दूर करने के लिए दिखाते तो आज देश की तष्वीर कुछ और होती । आखिर लोगों को भ्रश्टाचार को दूर करने के लिए उत्साह क्यों नहीं दिखा पा रहे है। इसके पीछे का कारण पर जब तरंग भारत ने पड़ताल किया तो बड़ा रोचक मामला सामने आया । बात यह है कि युवा अभी तक भारत की राजनीति में लिप्त नहीं होना चाहता था। तो सीधी बात बुजुर्गो के हाथ में कमान रही । आज जब टीम इंडिया युवा खिलाडि़यों के बल पर विजय श्री हुई है तो युवाओं में प्रशन्नता व्याप्त है। इस वल्र्ड कप के जष्न से एक बात सामने आई की अब युवाओं को पुराने लोगांे के नेतृत्व में रहना नहीं पसंद हैं। जो भी हो एक बात साफ है युवाओं को अब जष्न मनाने आ गया है । कहीं भी कोई उपद्रव नहीं हुआ जो एक बात का सुबूत दिया कि अब भारत का युवा समझदार हो गया है।

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