जब गांधी ऋषिकेश का लछमन झूला देखकर हुए थे उदास
देवभूमि उत्तराखण्ड में विराजमान विश्व प्रसिद्ध लछमन झूला गांधी जी को बड़ा ही प्रीय था। उनकी यहां आने कि इच्छा मन में बनी रहती थी। जिसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा पुस्तक में किया है। उन्होंने लिखा है कि मैंने लछमन झूले कि तारीफ बहुत सुनी थी । ऋषिकेश गये बिना हरिद्वार न छोड़ने कि मुझे बहुतो की सलाह मिली थी। मुझे तो पैदल जाना था। इससे एक मंजिल ऋषिकेश की ओर दूसरी लछमन झूले कि ओर ।
गांधी जी ने आगे लिखा है कि ऋषिकेश में अनेक संन्यासी मिलने आये थे। उनमें एक की मेरे जीवन मंे गहरी दिलस्पी पैदा हो गई । फिनिक्स मंडल मेरे साथ था। मेरे जीवन में गहरी दिलचस्पी पैदा हो गई । फिनिक्स मंडल मेरे साथ था, उन सबको देखकर उन्होंने अनेक प्रश्न किये। हममें धर्म की चर्चा हुई। उन्होंने देखा , मेरे भीतर धर्म की तीव्र भावना है । मै गंगा स्नान करके आया था। अतः नंगे बदन था।
मोहन ने लछमन झूले के बारे में आगे लिया है कि मुझे लछमन झूले के प्राकृतिक दृश्य बहुत पंसद आये । जैसे हरिद्वार में वैसे ऋषिकेश में लोग रास्तों और गंगा के सुंदर तट को गंदा कर डालते थे। यह देखकर गांधी बहुत दुखी हुए।
साभार सत्य के प्रयोग
Friday, October 1, 2010
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